Wednesday, March 4, 2009

आचार विचार की आचार संहिता

अभी चुनाव की घोषणा ही हुई है की राजनितिक दल ओर राजनेता एक दुसरे पर कीचड़ उछालने लगे हैं. जिस तरह मन लुभावन घोषणाओं को नियंत्रित करने के लिए चुनाव आयोग को आचार संहिता लागु करनी पड़ी थी मुझे लगता है उन्हें नेताओ के भाषणों में अपभ्रंश शब्दों का उपयोग न हो इसके लिए भी एक आचार संहिता बनानी चाहिए.

आज ही सुबह यह समाचार देखकर की हमारे नरेन्द्र मोदी जी जो अपने आप को सम्पूर्ण भारतीय मानते हैं उन्होंने कांग्रेस की फज्जीहत कर डाली. वोह भी एक सिनेमा को पुरस्कार मिलने पर:





दूसरी ओर हमारे राजनीतिक पार्टियो और राजनेताओं को यह अच्छी तरह से पता है की विना गठजोड़ के उन्हें सर्कार बनाने को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा और दिल्ली को वही शाशन करेगा जो एक अच्छी गठजोड़ करके मिल बांटकर खाने सरकार चलाने की कला में माहिर हो तो अभी से ही मुलायम सिंह ने कांग्रेस को यह धमकी दे डाली की अगर वो जल्दी से शीट बंटवारा का समझौता नहीं होता तो गठबंधन को तोडा जा सकता है और इसका बुरा खामियाना कांग्रेस को झेलनी पड़ेगी.



कृपया अपने बहुमूल्य सुझाब और राय देना नहीं भूलें.

1 comment:

  1. गठबंधन शब्द जब तक मेरे कानों तक पहुँचता है उसकी एक ही आवाज़ रह जाती है - मिली भागत.

    मेरा यह मानना है की जब तक एक ही पार्टी की सरकार नहीं बनती, तब तक कोई भी देश को खुशहाल करने की पूरी पूरी जिम्मेदारी नहीं लेगा. सब की राय लेना आवश्यक है पर एक व्यक्ति या पार्टी को जिम्मेदारी लेना भी उतना ही जरूरी है.

    यहाँ तो (गठबंधन में) ऐसा हाल है की अगर किसी ने सही निर्णय नहीं लिया तोह बस "ना तेरी ना मेरी, इससे बेहतर कोंई निर्णय हो ही नहीं सकता" कहके लोग अपनी गलती 'सुधार' लेंगे.

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