Friday, March 13, 2009

मौकापरस्त राजनीती

कम्बख्त ऐसे समय में जब सारे राजनितिक पार्टियों की नजर दिल्ली की सत्ता पर अगले पांच साल तक राज करने की है सारे राजनेता इस होड़ में लगे हैं की किसके साथ गठबंधन किया जाए ताकि उन्हें बहूत सारी प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़े और वे आसानी से जितना संभव हो सके सिट कब्जा कर सकें.

ऐसे माहौल में जब बीजेपी का बीजेडी के साथ गठबंधन टूट गया है और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन की कड़ी भी कमजोर नज़र आ रही है, उद्धव ठाकरे का यह बयान की बीजेपी के साथ उनकी कोई अनबन नहीं है बीजेपी के नेताओं को काफी राहत दे रही होगी.



चुनावी सरगर्मियों के बीच तीसरी मोर्चा का गठन भी काफी चौकाने वाली बातें हैं. कहाँ गए वो दिन जब हम सैद्धांतिक मुद्दों पर राजनीति करते थे न की मौकापरिस्तिथिक आधार पर. ऐसा हो भी तो क्यों न, हमारे देश में इतनी सारी पार्टियां हो गयी है तो सिद्धांतो पर टिके रहना आसान बात नहीं है.

0 comments: