Tuesday, March 17, 2009

बीजेपी के अन्दर की बात

पिछले कुछ दिनों से यह समाचार आ रही है कि अरुण जेटली बीजेपी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह से काफी नाराज हैं और इस कारण वे पार्टी के किसी भी रैली या सामूहिक कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहे हैं.

अगर पिछले कुछ दिनों से बीजेपी की गतिविधियों पर गौर फरमाएं तो यह साफ़ जाहिर होता है की इनके नेताओं के बीच आपसी सामंजस्य का काफी आभाव है और एक एक कर सारे नेता किसी न किसी उलझन भरी चक्रव्यूह में फंसते चले जा रहे हैं.



आज तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री पद के दावेदार लाल कृष्ण अडवानी ने तो सफाई भी दे डाली की अरुण जेटली और राजनाथ सिंह के बीच में कोई मतभेद नहीं है.



आज सुबह सवेरे ही तो आडवाणी जी का यह बयान आया था और दोपहर में जब बीजेपी कार्यसमिति की बैठक हुई तो अरुण जेटली फिर से नदारद दीखे. मेरे ख्याल से तो आडवाणी जी को पहले अपने घर को ठीक करना चाहिए ताकि जनता को यह तो यकीन हो जाए की आडवाणी जी में मिलजुलकर राजनीति चलाने की क्षमता है वरना उन्हें शायद भारत की जनता इसीलिए नकार दे की अगर आडवाणी जी अपने पार्टी के सदस्यों को ही नहीं संभाल सकते तो फिर देश को क्या संभालेंगे.




यह सब जैसे काफी कुछ नहीं हो आज चुनाव आयोग ने भी वरुण गाँधी को चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया है और शायद इसका परिणाम यह भी हो की वे अगली चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ही घोषित हो जाएँ.

इसे कहते है सर मुडाते ही ओले गिरना - वरुण जी अब पुराने जमाने वाली बात नहीं रही जब इंदिरा जी, जवाहर जी के नाम पर आपलोगों की क़द्र की जाती थी, जैसा की आप जानते ही हैं कि आजकल तो आपको अपने घर में ही पसंद नहीं किया जाता. कृपया संभलकर रहा कीजिये. अभी आपको बहूत ही लम्बी लड़ाई लड़नी है.

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