पिछली रात जब मायावती उच्चाकांक्षी नेताओं की जमवाडा थर्ड फ्रंट जिसके सारे नेता अपने आपको प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानते हैं के साथ डिनर पर मुलाकात की और साथ में यह गुगली भी छोड़ डाली की वोह अपने ही बल बूतें चुनाब लडेंगे किसी भी नेता को उन्होंने बोलने का अवसर ही नहीं दिया. आखिरी मायावती द्वारा पडोस गए लजीज खानों में मिली हुई नमक की हलाली भी तो करनी थी.
दक्षिण भारत की मल्लिका जयललिता तो आई ही नहीं तो बाकी लोग जो इस उम्मीद के साथ आये थे की वे मायावती को प्रधानमंत्री पद का मायाजाल छोड़ने में राजी कर लेंगे स्वादिष्ट खाने की स्वाद के सिवाय तो कुछ नहीं कर सके.
में तो जनता से सवाल पूछना चाहूँगा की क्या वे चुनाब के बाद सारे थर्ड फ्रंट के नेताओं को प्रधान मंत्री बनाकर सिर्फ प्रधानमंत्रियों वाली सरकार हिन्दुस्तान को देना चाहेंगे तो उन्हें थर्ड फ्रंट से अच्छी पार्टी नहीं मिलेगी.
Sunday, March 15, 2009
माया की मेहमानबाजी
Posted by वंदे मातरम at 9:01 PM
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