कांग्रेस संचालित साझा सरकार के आखिर दिन धीरे धीरे नजदीक आ रहे हैं. आज उनका भारत के संसद में आखिरी दिन था. अगर हम उनके पांच सालों के उपलब्धियों का लेखा जोखा लें बहोत कुछ खाश देखने को नहीं मिलता है. लेकिन अगर हम पिछले कुछ दिनों को देखे तो कुछ खास बातें जरूर ही हमारी पलकों के सामने आती हैं:
पहली बार भारत के संसद में नोटों की पत्तियां उडी और विश्व की जनता को पता चला की भारत में सिर्फ काले लोग नहीं बल्कि काले धन वाले भी रहते हैं जिनके पास खूब सारा पैसा है. कुछ ने तो इसे प्रजातंत्र की काली तस्वीर कह डाली और कुछ लोगों ने भारत के इतिहास का सबसे शर्मशार दिन की उपाधि दी. लेकिन धक् के तीन पात. हिंदुस्तान एक स्वराष्ट्र प्रजातंत्र है और यहाँ सब को सब कुछ कहने, करने और करवाने की पूरी आज़ादी है.
लेकिन जाते जाते सरकार ने लोगों को कुछ महीने के लिए एक्साइज और सर्विस कर में राहत देकर कुछ वोटरों को लुभाने का काम तो किया ही है. अब देखना है कि उन्हें इसका कितना फायदा मिलता है.
एक तरफ विपक्ष हर जगह ये गुहार लगा रहे हैं कि सरकार लोगों के मेहनत कि कमाई अपनी उपलब्धियों को गिनने के टेलिविज़न चैनल और अख़बार के विज्ञापन देकर लुटा रही है लेकिन विपक्ष यह भूल गए हैं कि पिछली सरकार के जब बीजेपी को भी मौका मिला था तो उन्होंने भी ऐसा ही किया था.
कुछ भी हो हम तो जनता हैं और जब भारत का सत्ता की वागडोर इनके हाथों के सौपी है तो सहना भी तो पड़ेगा.
Thursday, February 26, 2009
हम छोड़ चले हैं महफिल को...
Labels: Bharat, india general election 2009, last day of UPA
Posted by वंदे मातरम at 4:03 AM
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