पिछले कुछ दिनों से वरुण गाँधी खबरों में छाये हुए हैं. एक और मायावती को यह भय है की अगर उन्होंने वरुण को ऐसे ही छोड़ दिया तो वह राष्ट्रिय हीरो बन जायेगा और उन्हें अपने राजनितिक गढ़ उत्तर प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने में मुश्किल पैदा होगी क्योंकि पिछले दिनों के चुनावी वाकयात में जो उलटफेर हुए हैं उससे मायावती की राजनितिक पकड़ उत्तर प्रदेश में तो जरूर ही कम पड़ी है. लालू यादव, मुलायम सिंह और रामविलास पासवान का एक साथ जुड़ना मायावती के लिए सबसे हानिकारक घटना है.
ऐसे समय में वरुण गाँधी का यकायक राजनितिक घटक में छ जाना तो मायावती को अचंभित कर गया. आनन फानन में उन्होंने अपने राजनितिक कवायदों का उपयोग करना शुरू कर दिया. पहले तो वरुण को जमानत नहीं मिली और जब मिली भी तो उन्हें राष्ट्रिय सुरक्षा के लिए खतरा के अंतर्गत फिर से अन्दर कर दिया. जिस उत्तर प्रदेश में बाहुबली और गुंडे खुले घूम रहे हैं वहां एक आदमी जो सिर्फ देश की अस्मिता, प्रतिष्ठा और सुरक्षा के रक्षा की बात करता है उसे जेल के अन्दर कर दिया जाता है. मुझे तो माया बहन की यह मायाजाल समझ में ही नहीं आया.
Thursday, April 2, 2009
वरुण उर्फ़ अभिमन्यु
Labels: varun ggandhi
Posted by वंदे मातरम at 8:58 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment