Thursday, February 26, 2009

हम छोड़ चले हैं महफिल को...

कांग्रेस संचालित साझा सरकार के आखिर दिन धीरे धीरे नजदीक आ रहे हैं. आज उनका भारत के संसद में आखिरी दिन था. अगर हम उनके पांच सालों के उपलब्धियों का लेखा जोखा लें बहोत कुछ खाश देखने को नहीं मिलता है. लेकिन अगर हम पिछले कुछ दिनों को देखे तो कुछ खास बातें जरूर ही हमारी पलकों के सामने आती हैं:



पहली बार भारत के संसद में नोटों की पत्तियां उडी और विश्व की जनता को पता चला की भारत में सिर्फ काले लोग नहीं बल्कि काले धन वाले भी रहते हैं जिनके पास खूब सारा पैसा है. कुछ ने तो इसे प्रजातंत्र की काली तस्वीर कह डाली और कुछ लोगों ने भारत के इतिहास का सबसे शर्मशार दिन की उपाधि दी. लेकिन धक् के तीन पात. हिंदुस्तान एक स्वराष्ट्र प्रजातंत्र है और यहाँ सब को सब कुछ कहने, करने और करवाने की पूरी आज़ादी है.

लेकिन जाते जाते सरकार ने लोगों को कुछ महीने के लिए एक्साइज और सर्विस कर में राहत देकर कुछ वोटरों को लुभाने का काम तो किया ही है. अब देखना है कि उन्हें इसका कितना फायदा मिलता है.

एक तरफ विपक्ष हर जगह ये गुहार लगा रहे हैं कि सरकार लोगों के मेहनत कि कमाई अपनी उपलब्धियों को गिनने के टेलिविज़न चैनल और अख़बार के विज्ञापन देकर लुटा रही है लेकिन विपक्ष यह भूल गए हैं कि पिछली सरकार के जब बीजेपी को भी मौका मिला था तो उन्होंने भी ऐसा ही किया था.

कुछ भी हो हम तो जनता हैं और जब भारत का सत्ता की वागडोर इनके हाथों के सौपी है तो सहना भी तो पड़ेगा.

Monday, February 23, 2009

चुनाव के रणभूमि में खिलाड़ी, अभिनेता और जोकर सब मिलकर बजायेंगे जनतंत्र राग

अब जब की लालू यादव जी ने रेल बजट पेश कर दी है और प्रणब मुख़र्जी जी ने अंतरिम बजट लोकसभा में प्रस्तुत कर दी है, इस बात में कोई संदेह नही की २००९ की सामान्य चुनाब का ऐलान किसी भी वक्त हो सकता है.

सब लोग अपने तरफ़ से पुरजोड़ कोशीश कर रहे हैं की किस तरह से इस चुनाब में जीता जाए और फिर अगले पाँच सालों तक भारत की जनता का शागिर्द बनकर अपनी झोली बड़ी जाए.

इसमें कोई शक नही की भारत एक मजबूत प्रजातंत्र राष्ट्र है और इसकी बुनियाद काफी मजबूत है जिसे कोई आसानी से हिला नही सकता. मुझे तो इस बात पर काफी आश्चर्य होता है की अच्छे लोग राजनीती के मैदान में क्यों नही आ रहे हैं. साथ ही यह भी सोचने की बात है की कोई भी नेता, अभिनेता, हास्य अभिनेता, खिलाड़ी और अन्य लोग जो चुनाब लड़ने की बातें करते हैं सबसे पहले जनता को यह क्यों नही बताते हैं की वोह चुनाब जितने के बाद देश के लिए क्या और जनता उन्हें अपना प्रतिनिधि क्यों चुने.

इस ब्लॉग के मध्यम से चुनाव से जुड़े हुए कुछ ऐसे मुद्दों और खबरों को आपतक लाने की कोशिश करता रहूँगा जिससे शायद अगले चुनाव तक आप मुझे भी अपना प्रतिनिधि चुनने के बारे में सोचना शुरू करदें और फिर में भी एक न्यूज़ आइटम बनकर यहीं कहीं आप से मिलूं.

अज़हरुद्दीन जी ने कांग्रेस ज्वाइन कर राजनीती में आने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है, अब देखने वाली बात ये होगी की क्या वे क्रिकेट के मैदान की तरह राजनीती के मैदान में भी चौके और छक्के उडाएंगे या जगहंसाई करके फिर से एक बार पवेलियन लौट जायेंगे - देखते हैं ये राजनीति उन्हें किस मंजिल तक ले जाती है.



राजू श्रीवास्तव जी जो रात दिन टीवी पर आकर हमें हंसते हैं अब उन्होंने भी सोच लिया है की सीधे लोकसभा गृह से लोगों का मनोरंजन करेगे. मुझे तो यह सोचकर ही गुदगुदी सी होती है की जब अगले सदन में नेता लोग लड़ रहे होंगे और एक दुसरे पर छीटाकशी कर रहे होंगे - राजू श्रीवास्तव अपने मनोरंजक अंदाज़ में कहेंगे - ओ गजोधर जी आपलोग ऐसे कहे लड़ रहे हैं अगर ज्यादा गुस्सा आ रहा है तो शांत हो जाइये और मेरा चुटकुला ध्यान से सुनिए हा हा हा हा...




अभिनेता से नेता बने संजू बाबा की तो बात ही कुछ अलग हैं - बहना कांग्रेस की राग अलाप रही हैं तो संजू बाबा कांग्रेस से बदला लेने की बात करते हैं. चाहे इसका अंजाम जो भी हो - मुझे तो ये काफी रोमांचक लगता है की अखिरिकार हमारे नेता जी लोगों को गांधीगिरी की पाठ अब लोकसभा भवन में ही मिल जाया करेंगी. संजू बाबा आपको बाकी लोगों की दुआ मिले न मिले महात्मा गाँधी जी की जरूर मिलेगीं. आज के समय में जब नैतिक मूल्यों का पतन दिन प्रतिदिन हो रहा है कोई तो है जो गाँधी के विचारों को याद करा रहा है - रघुपति राघव राजा राम सबको सन्मति दे भगवान्.


कहाँ चुनाव और कहाँ परिवार. संजय दत्त तो अपने फॅमिली को ही भूल गए. चंदा रे मेरे भइया से कहना बहना याद करी:




संजू बाबा की घोषणा - अब नेताओ को सिखायेंगे राजनीती का पाठ:





आपका हमराही भारतीय दोस्त फिर हाज़िर होगा चुनाब की ताज़ा तरीन खबरों के साथ. तबतक के लिए कलविदा.